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क्या आप जानते हैं ब्लेड के बीच में क्यों होती है यह खाली जगह? इसके पीछे है एक दिलचस्प वजह

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रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली ऐसी कई चीजें है जिनका हम प्रयोग तो करते हैं, लेकिन उनके बारे में कई बाते है जो हम नहीं जानते। जैसे कि अब ब्लेड को ही ले लिजिएं। ब्लेड ऐसी चीज है, जो आज हर घर में पाई जाती है। शेविंग करने से लेकर हेयर कटिंग तक में ब्लेड का इस्तेमाल किया जाता है।

 

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ब्लेड के बीच में खाली जगह क्यों छोड़ी जाती है?  ब्लेड किसी भी कम्पनी का हो, लेकिन उसमे खाली जगह एक ही डिजाइन की क्यों होती है?

 

शायद आपको इन सवालों का जवाब न पता हो, तो चलिए हम आपको आज इस खास डिजाइन के पीछे की कहानी बताते हैं।

 

दरअसल, जिलेट कंपनी के प्रमुख संस्थापक किंग कैंप जिलेट ने विलियम निकर्सन की मदद से साल 1901 में ब्लेड का डिज़ाइन बनाया था।

 

1890 में किंग कैंप जिलेट बोतल के ढक्कन बनाने वाली एक कंपनी में बतौर सेल्समेन काम किया करते थे। इस दौरान उन्होंने नोटिस किया कि कैसे इस्तेमाल में आ जाने के बाद लोग बोतलों के ढक्कन फ़ेंक दिया करते हैं। फिर भी ऐसी छोटी सी चीज से इतनी बड़ी कंपनी चल रही है।

इस ‘यूज़ एंड थ्रो’ के फंडे से ही उन्हें ब्लेड बनाने का आईडिया आया। ऐसे में उन्होंने भी कुछ ऐसी ही चीज बनाने के बारे में सोचा, जो लोग इस्तेमाल करने के बाद उसे फ़ेंक दे और साथ ही साथ वो सस्ती भी हो।

उस दौर में पुरुष उस्तरे से शेविंग किया करते थे, जो खतरनाक माना जाता था। ऐसे में किंग कैंप जिलेट उस्तरे का विकल्प तलाशने की कोशिश में लग गए। आखिरकार 1901 में उन्हें सफलता मिली और दो धार वाली ब्लेड का आविष्कार उन्होंने कर दिया। इसी साल उन्होंने अपने नए ब्लेड के डिज़ाइन को पेटेंट भी करा लिया और साल 1904 में एक औद्योगिक रूप में ब्लेड का उत्पादन शुरू भी कर दिया । 1904 के समय जिलेट ने पहली बार 165 ब्लेड बनाए। सबसे पहले जिलेट ने ब्लू जिलेट नाम से ब्लेड बनाने शुरू किए।

 

बता दें कि 1901 में जिलेट ही इकलौती कंपनी थी, जिसने रेजर और ब्लेड बनाने की शुरुआत की। उस समय तक कोई भी कम्पनी ब्लेड बनाने के मैदान में नही थी।

 

 

लेकिन जब बाद में ब्लेड बनाने की शुरुआत दूसरी कंपनियों ने की, तो उन्हें जिलेट के ही डिज़ाइन को कॉपी करना पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि उस वक्त मार्किट में रेजर जिलेट कंपनी के ही आते थे।  इसलिए रेजर में ब्लेड फिट करने के लिए शेव उसी डिजाइन में रखना पड़ाता था।

 

तब से लेकर आजतक ब्लेड का सिर्फ एक ही डिज़ाइन मार्किट में आया है। आज दुनिया में हर रोज लगभग 1 मिलियन के आस पास ब्लेड बनते है और वो सभी एक ही डिज़ाइन के होते हैं।


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