पूरी दुनिया को बनाने वाले देवता और महान शिल्पीकार भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। भारतीय मान्यताओं के मुताबिक, भगवान विश्वकर्मा ने ही सोने की लंका से लेकर पुष्पक विमान तक बनाया था। विश्वकर्मा ने देवताओं के इस्तेमाल की सारी चीज़ें बनाई और इतनी खूबसूरती से बनाई की कोई भी उस पर मोहित हो जाए।
1. कौन हैं भगवान विश्वकर्मा?
भगवान विश्वकर्मा को सुतारों, सुनार, लोहार, मिस्त्री और हर ऐसे इंसान का देवता माना जाता है, जिसमें शिल्पकला का गुण होता है। माना जाता है कि उन्होंने ही चौथे उप वेद की खोज की और वो 64 यांत्रिक कला में निपुण थे।
2. देवताओं के लिए उड़ने वाले रथ बनाए
विश्वकर्मा ने ही देवाताओं के सारे हथियार और उड़ने वाले रथ बनाएं। पुष्पक विमान भी विश्वकर्मा का ही बनाया हुआ था। भगवान इंद्र के वज्र के साथ ही श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र को बनाने वाले भी विश्वकर्मा ही थे।
3. लंका के निर्माता
रावन की सोने की जिस लंका की चर्चा पूरे विश्व में थी, उसे भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था। हालांकि, यह लंका हमेशा रावण की नहीं थी। हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान शिव और पार्वती ने गृहप्रवेश की पूजा में रावण को लंका में आमंत्रित किया था, क्योंकि रावण एक ब्राह्मण भी था। गृहप्रवेश समारोह के बाद भगवान शिव ने रावण से दक्षिणा मांगने को कहा, तो लंका की खूबसूरती पर मोहित रावण ने दक्षिणा में सोने की लंका ही मांग ली, और शिव जी ने इसे रावण को सौंप दिया।
4. पांडवों का इंद्रप्रस्थ
कहा जाता है कि इंद्रप्रस्थ बहुत ही सुंदर नगर था। महल के फर्श से लेकर तालाब और कुएं तक बहुत ही खूबसूरत थे। इस खूबसूरत नगर को विश्वकर्मा ने ही बनाया था। यही खूबसूरत नगर महाभारत के युद्ध की वजह भी बना। जब पांडवों ने कौरवों को इंद्रप्रस्थ में आमंत्रित किया तो दुर्योधन ने सामने बने कुंड को समतल समझकर पैर रखा और गिर गया जिसे देखकर द्रौपदी ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी और दुर्योधन को ताने मारते हुए कहा अंधे का पुत्र अंधा। दुर्योधन अपने इस अपमान को भूल नहीं सका और महाभारत का युद्ध इसी का नतीजा था।
5. द्वारका
कृष्ण की नगरी द्वारका के निर्माता भी विश्वकर्मा ही थे। कहा जाता है कि द्वारका नगरी को विश्वकर्मा ने एक ही रात में बना दिया था। द्वारका के अलावा सतयुग में स्वर्गलोक और द्वापरयुग में हस्तिनापुर का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था।
6. कारीगरों, हस्तशिल्प और यांत्रिकों के देवता
विश्वकर्मा का अर्थ है सर्व निर्माता यानी सबकुछ बनाने वाला। ऋग्वेद में विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का वास्तुकार कहा गया है।
7. विश्वकर्मा पूजा
हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा जिसे विश्वकर्मा जयंती भी कहते है मनाई जाती है। इस दिन सभी कल-कारखाने और फैक्ट्रियों में मशीनों की पूजा की जाती है। इस दिन फैक्ट्रियां और कारखाने बंद भी रहते हैं। मजदूर और कारीगर खासतौर पर ये पूजा धूमधाम से बनाते हैं।
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