नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस्कॉन और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण को एक याचिका की सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। याचिका में मथुरा में बनने वाले चंद्रोदय मंदिर के निर्माण पर कई सवाल खड़े किए गए हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता मणिकेश चतुर्वेदी ने अपनी याचिका में दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के निर्माण को रोकने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि इस मंदिर के निर्माण से पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। साथ ही क्षेत्र के भू जल पर भी इसका नकारत्मक असर पड़ेगा।
याचिकाकर्ता के अनुसार, प्रस्तावित मंदिर की बाउंड्री के चारों ओर आर्टिफीसियल तालाब होगा। इसके लिए जमीन से बड़े पैमाने का पानी का दोहन किया जाएगा। इससे यमुना नदी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
इस पूरे मसले पर सुनवाई करते हुए अब एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बैंच ने इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कंसीअसनेस) और सीजीडब्ल्यूए को नोटिस जारी करते हुए 31 जुलाई से पहले जवाब मांगा है।
बता दें कि अगर चंद्रोदय मंदिर के निर्माण कार्य को हरी झंडी मिल जाती है तो यह अपने निर्माण के साथ ही दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर होगा। इसकी ऊंचाई दो सौ मीटर से अधिक होगी। साढ़े पांच एकड़ के इलाक़े में बनने वाले इस मंदिर में 70 मंजिलें होंगी। अभी दुनिया की सबसे ऊंची धार्मिक इमारत मिस्र के पिरामिड हैं, जो कि 128.8 मीटर ऊंचा है। वहीं, वेटिकन का सेंट पीटर बैसेलिका 128.6 मीटर ऊंचा है।
रॉकेट के आकार का चंद्रोदय मंदिर भूकंप प्रतिरोधी होगा। इसके निर्माण में 45 लाख घन फीट कंक्रीट और करीब साढ़े 25 हजार टन लोहे का इस्तेमाल होगा।
मंदिर के निर्माण पर 300 करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। यह मंदिर 26 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा। इसमें ब्रज के 12 जंगलाेें का निर्माण होगा, जिसमें सुंदर वनस्पतियां, झीलें और झरने शामिल होंगे। मंदिर का कुल क्षेत्रफल 62 एकड़ होगा, जिसमें 12 एकड़ पार्किंग और हेलीपैड के लिए होगा।
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