विविधता के प्रतीक भारत में वैसे तो कई पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन मुख्यतौर पर दो समुदायों (हिंदु और मुस्लिम) के त्योहारों को यहां कभी नजरंदाज नहीं किया जाता। इन दिनों गणेश चतुर्थी और मोहर्रम के मद्देनजर देशभर में पुलिस एंव प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए जा रहे हैं। जहां एक ओर देशभर में अधिकारियों को सुरक्षा इंतजाम में चौकसी बरतने की हिदायत दी जा रही है। तो वहीं महाराष्ट्र का एक गांव ऐसा भी है जो आपसी भाईचारे और सौहार्द के नए मानक स्थापित कर रहा है।
महाराष्ट्र का यवतमाल गांव एक समय सांप्रदायिक हिंसा का दंश झेल चुका है। लेकिन इन दिनों ये गांव एक अविश्वसनीय दृश्य का गवाह बना हुआ है। यहां एक ही छत के नीचे गणेश पंडाल और ताजिया रखकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम की गई है। गणेशोत्सव और मोहर्रम एक साथ पड़ जाने के चलते इस गांव ने सांप्रदायिक सौहार्द का बेहद खूबसूरत उदाहरण पेश किया है।
उमरखेड़ तहसील के बिदुल गांव में हिंदू और मुसलमान इन दिनों एक साथ पूजा और नमाज कर रहे हैं। बीते कई वर्षों से इस क्षेत्र में हिन्दुओंं और मुसलमानों के त्योहारों के दौरान हिंसा हो जाती थी, जिसे देखते हुए इस साल प्रशासन ने दोनों समुदायों को करीब लाने की पहल की है।
बताया जा रहा है कि बीते साल हुई सांप्रदायिक हिंसा को देखते हुए दोनों समुदायों को पास लाने की पहल पुलिस अधीक्षक मेघनाथन राजकुमार ने की है। दरअसल, पुलिस अधीकक्षक राजकुमार ने उमरखेड के थाना प्रभारी हनुमंत गायकवाड को कहा था कि वह आठ सितंबर को ग्राम पंचायत में सभी ग्रामीणों की बैठक बुलाएं। बैठक में पुलिस ने गांव के लोगों से दोनों त्योहारों को साथ मिलकर मनाने की बात रखी थी, जिसका गांव वालों ने स्वागत किया, जिसके बाद गांव के नलसाहेब देवस्थान मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा और ताजिया का पंडाल एक साथ बनाया गया।
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