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इस युवा ने दोनों हथेलियां और एक आंख गंवाकर भी हिम्मत नहीं हारी, अब IAS बनने का है लक्ष्य

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बात चाहे शिक्षा की हो या फिर करियर की, जिंदगी में कुछ भी पाने के लिए कुछ करने की ललक और उसको उसके अंजाम तक पहुंचाने का जूनून होना चाहिए। फिर कोई भी कार्य नामुमकिन नहीं है। ऐसे ही एक शख्स के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जो युवा पीढ़ी के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। आज के नौजवान जो अपनी नाकामयाबी से हार मान लेते हैं और ऐसे में आत्महत्या जैसे क्रूर कदम उठाते हैं, उनके लिए यह युवा एक सीख की तरह है। एक ऐसी सीख जो बार-बार गिरने पर भी खड़े होने की हिम्मत पैदा करती हैं और हर मुश्किल से भागना नहीं उसका सामना करना सिखाती है।

मध्य प्रदेश के टेकनपुर के समीप माधवपुर निवासी 25 वर्षीय बृजेश जाटव ने एक हादसे में अपने दोनों हाथों की हथेलियां और एक आंख गंवा दी, लेकिन यह उनका हौसला ही है कि उन्होंने अपने सपने को किसी प्रतिकूल परिस्थिति के आगे झुकने नहीं दिया।

 

जब वह महज छह साल के थे तब उनके गांव में एक शादी समारोह में हुई आतिशबाजी की चपेट में आने से बृजेश के दोनों हाथों की हथेलियां और एक आंख चली गई। यकिनन यह उनके और उनके परिवार के लिए किसी बड़ी विपदा जैसा था।

लेकिन ये उनके परिवार का साथ और खुद बृजेश का जज्बा था कि उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की और अब वह ग्वालियर के एक निजी कॉलेज में एमएससी की पढ़ाई कर रहे हैं।

वह अपने परिवार पर किसी तरह का बोझ नहीं बनना चाहते। एमएससी करने के साथ ही वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी जुटे हैं। वह आईईएस अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं।

बृजेश ने दो बार एमपी-पीएससी की परीक्षा प्री क्वालीफाई की है। सब बाधाओं के बीच अपने साहस का परिचय देने वाले बृजेश को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान भी सम्मानित कर चुके हैं। साथ ही उन्हें 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और अपनी पढ़ाई के खर्च के लिए वह घर पर कक्षा एक से दस तक के छात्रों को ट्यूशन देते हैं। इसके साथ ही वह छात्रों को कम्प्यूटर की ट्रेनिंग भी देते हैं। इससे होने वाली आय का कुछ हिस्सा वह घर के अन्य खर्चों के लिए भी देते हैं।

बृजेश अपने काम के लिए किसी पर भी निर्भर नहीं हैं। वह अपने काम खुद करते हैं। खाना, कपड़े धोना, साइकिल चलाना, कंप्यूटर ऑपरेट करना, ऐसा कोई काम नहीं जो बृजेश न करते हो।

वाकई, बृजेश का आत्मनिर्भर बनने का जूनून आज कईयों के लिए उदहारण है, जो विषम परिस्थितियों में सफलता हासिल करना चाहते हैं।


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