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ममता की मूरत मदर टेरेसा के ये 9 सीख देते हैं जीवन को सार्थक रूप से जीने की प्रेरणा

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दुनिया में ऐसे काम लोग देखने को मिलते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं। मदर टेरेसा एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा में लगा दी। दुनियाभर में इंसानियत की मिसाल कायम करने वाली मदर टेरेसा की आज 20वीं पुण्यतिथि है।

मदर टेरेसा ने जो किया वह इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। आज जब वह हमारे बीच नहीं हैं, फिर भी पूरी दुनिया में उनकी जिंदादिली की मिसाल दी जाती हैं। समाज सेवा और मानव सेवा के क्षेत्र में उन्होंने जो किया वह अतुलनीय है।

इस खास मौके पर आज हम आपको मदर टेरेसा के उन 9 अनमोल सीख से अवगत करा रहे हैं, जो जीवन को सार्थक रूप से जीने की प्रेरणा देते हैं:

“जिस व्यक्ति को कोई चाहने वाला न हो, कोई ख्याल रखने वाला न हो, जिसे हर कोई भूल चुका हो, मेरे विचार से वह किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में, जिसके पास कुछ खाने को न हो, कहीं बड़ी भूख, कही बड़ी गरीबी से ग्रस्त है।”

 

“छोटी-छोटी बातों में विश्वास रखें क्योंकि इनमें ही आपकी शक्ति निहित है। यही आपको आगे ले जाती है।”

 

“जहां जाइए प्यार फैलाइए जो भी आपके पास आए, वह और खुश होकर लौटे।”

 

“किसी नेता की प्रतीक्षा मत करो, अकेले करो, व्यक्ति से व्यक्ति द्वारा।”

 

“चमत्कार यह नहीं की हम यह काम करते हैं, बल्कि यह है कि ऐसा करने में हमें खुशी मिलती है।”

 

“अकेलापन सबसे भयानक गरीबी है।”

 

“मीठे बोल संक्षिप्त और बोलने में आसान हो सकते हैं लेकिन उनकी गूंज सचमुच अनंत होती है।”

 

“एक जीवन जो दूसरों के लिए नहीं जीया गया, वह जीवन नहीं है।”

 

“यह महत्वपूर्ण नहीं है आपने कितना दिया, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि देते समय आपने कितने प्रेम से दिया।”

उन्होंने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले, जिनमें वे असाध्य बीमारी से पीड़ित रोगियों व गरीबों की स्वयं सेवा करती थीं। ऐसी मानवता की महान प्रति मूर्ति मदर टेरेसा का का निधन 5 सितंबर 1997 को हो गया। आज भले ही वह हमारे बीच में नहीं है, लेकिन उनके विचार आज भी हमारे जहन में जिन्दा हैं।


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