ऐसिहासिक स्मारक किसी भी देश की न सिर्फ धरोहर होते हैं, बल्कि ये गुजरे हुए कल को जानने का एक ज़रिया भी होते हैं। इससे इतिहास और संस्कृति की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। हालांकि, कुछ लोगों की बेवकूफी और नफरत ने दुनिया की कुछ ऐतिहासिक स्मारकों को बर्बाद कर दिया।
निमरुद
इराक के मोसुल शहर के दक्षिण में स्थित ऐतिहासिक शहर निमरुद पुरातात्विक और सांस्कृतिक सभ्यता की जीती-जागती निशानी थी। करीब 3 हजार साल से भी पुराना निमरुद शहर मेसोपोटामिया सभ्यता की जीती जीगती मिसाल था। मोसुल से 30 किलोमीटर दूर तिगरिस नदी के किनारे स्थित यह शहर 1250 ईसा पूर्व बसाया गया था, लेकिन इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने इराक के मोसुल में 3 हजार साल पुराने ऐतिहासिक शहर निमरुद को तबाह कर दिया और इसी के साथ मिट्टी में मिल गई सदियों पुरानी सभ्यता की दास्तान।
एलेक्ज़ेंड्रिया लाइब्रेरी
ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में एलेक्ज़ेंड्रिया लाइब्रेरी को टॉलेमी आई सोटर ने बनाया था। इस समय यहां 40,000 से लेकर 4,00,000 तक प्राचीन पुस्तके थीं। विभिन्न विषयों पर दुनिया के कोने-कोने से पुस्तकें इकट्ठा करके यहां रखी गई थीं। जूलियस सीज़र, रोमन सम्राट ऑरेलियन, अलेक्जेंड्रिया के पोप थियोफिलस आदि द्वारा धीरे-धीरे इसे नष्ट कर दिया गया।
बामियान
अफगानिस्तान के बामियान में महात्मा बुद्ध की 174 फीट लंबी थी मूर्ति को मार्च 2001 में तालिबानी आतंकियों ने उड़ा दिया। करीब 1500 साल से अधिक समय से खड़ी रहीं ये मूर्तियां न सिर्फ अफगानिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर थीं। यूनेस्को ने इन्हें वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तहत सूचीबद्ध किया हुआ था।
पार्थेनन
पार्थेनन अथीनियान एक्रोपोलिस पर एक मंदिर है। यह मंदिर ग्रीस में यौवन की देवी एथेना को समर्पित है। इसे एथेंस के लोग अपने संरक्षक देवता मानते हैं। इस मंदिर का निर्माण 447 ईसा पूर्व में शुरू हुआ। भवन की सजावट 432 ईसा पूर्व तक जारी रही। हालांकि यह 438 ई.पू. में पूरा किया गया। यह प्राचीन यूनान की सबसे महत्वपूर्ण इमारत है। पार्थेनन प्राचीन ग्रीस और पश्चिमी सभ्यता की एक स्थायी प्रतीक के रूप में माना जाता है और दुनिया की सबसे बड़ी सांस्कृतिक स्मारकों में से एक है। 480 ईसा पूर्व फारसी आक्रमणकारियों ने इसे नष्ट कर दिया था।
हाउस ऑफ विजडम
बगदाद का हाउस ऑफ विजडम बायत अल-हिकमा के नाम से भी जाना जाता है। यह उस समय बुद्धिजीवियों का बड़ा केंद्र था। इसकी स्थापना कैलिफ हारुन अल-रशीद ने ईसा पूर्व 9वीं शताब्दी में की थी। लाइब्रेरी में विभिन्न धर्मों के किताबों का बहुत बड़ा कलेक्शन है। ज्ञान की इस अमूल्य धरोहर को मंगोलों ने 1258 में तबाह कर दिया।
नालंदा
पटना से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित नालंदा एक समय में ज्ञान का सागर माना जाता था, जहां देश-विदेश से छात्र पढ़ने आते थे। इस भव्य विश्वविद्यलय में महावीर और गौतम बुद्ध भी आ चुके हैं। 5वी शताब्दी में बना नालंदा विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म के खत्म होने और इस्लाम के बढ़ने की वजह से अपना अस्तित्व खोने लगा और आखिरकार बख्तियार खिलजी ने इसी पूरी तरह बर्बाद कर दिया।
बालशामिन मंदिर
इसका निर्माण 17वीं सदी में हुआ था और रोम के सम्राट हादरियान ने 130 सदी में इसका प्रचार प्रसार किया था। बाल शामिन नाम का ये मंदिर यूनेस्को द्वारा चिह्नित सीरियाई शहर पलमायरा में स्थित था। सीरिया की राजधानी दमिश्क में इस्लामिक स्टेट के जिहादियों ने 2015 में इस प्राचीन मंदिर को विस्फोटकों से उड़ा दिया था।